औरंगजेब की कब्र पर लाखों का खर्च, लेकिन शिवाजी महाराज के सम्मान में उपेक्षा क्यों?


भारत में ऐतिहासिक स्थलों के रखरखाव पर भारी खर्च किया जाता है, लेकिन यह चिंता का विषय बन जाता है जब हिंदू वीरों की तुलना में उन पर अधिक खर्च होता है जिन्होंने हिंदुओं पर अत्याचार किए। औरंगजेब की कब्र पर सालाना लाखों रुपये खर्च होते हैं, जबकि छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे राष्ट्रनायकों के स्मारकों को पर्याप्त महत्व नहीं दिया जाता। यह असमानता क्यों? क्या यह हमारी सांस्कृतिक विरासत के साथ अन्याय नहीं है? इस लेख में हम इस विषय पर गहराई से चर्चा करेंगे।


औरंगजेब की कब्र पर लाखों का खर्च लेकिन शिवाजी महाराज के सम्मान में अनदेखी क्यों?

भारत का इतिहास वीरता और संघर्ष से भरा हुआ है। एक ओर छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे महान हिंदू योद्धा हैं जिन्होंने औरंगजेब जैसे आक्रांताओं से भारत की रक्षा की, तो दूसरी ओर वह शासक हैं जिन्होंने हिंदुओं पर अत्याचार किए। आश्चर्य की बात यह है कि भारत में औरंगजेब की कब्र पर सालाना लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, जबकि शिवाजी महाराज जैसे राष्ट्रनायकों के स्मारकों के रखरखाव के लिए उचित बजट तक नहीं दिया जाता।

औरंगजेब – एक क्रूर शासक

औरंगजेब को भारतीय इतिहास में हिंदू विरोधी शासक के रूप में जाना जाता है। उसके शासनकाल में –

  1. हजारों मंदिर तोड़े गए।
  2. हिंदुओं पर जज़िया कर लगाया गया।
  3. सिख गुरु तेग बहादुर जी और कई संतों की हत्या की गई।
  4. हिन्दू उत्सवों पर प्रतिबंध लगाए गए।

इतना सब करने के बावजूद, उसकी कब्र को संरक्षित करने और उसकी देखरेख पर सरकारी खर्च किया जा रहा है।

औरंगजेब की कब्र पर लाखों का खर्च

महाराष्ट्र के खुलदाबाद में स्थित औरंगजेब की कब्र को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित किया जाता है। इसके रखरखाव पर हर साल करीब 2 लाख रुपये खर्च किए जाते हैं। इसमें सफाई, मरम्मत, सुरक्षा और अन्य सुविधाएं शामिल हैं।

शिवाजी महाराज के स्मारकों की अनदेखी

छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्होंने मुगलों, अफगानों, पुर्तगालियों और अन्य विदेशी ताकतों से हिंदुओं की रक्षा की, उनके कई स्मारक उचित देखभाल से वंचित हैं। शिवाजी महाराज की जन्मभूमि शिवनेरी किला और अन्य स्मारकों के रखरखाव पर सरकार द्वारा बहुत कम बजट आवंटित किया जाता है। कुछ स्थानों पर मात्र 500 से 1000 रुपये प्रति माह खर्च किया जाता है।

ऐसा अन्याय क्यों?

  1. इतिहास के प्रति भेदभाव – स्वतंत्रता के बाद की सरकारों ने हिंदू नायकों की उपेक्षा की।
  2. धर्मनिरपेक्षता के नाम पर असंतुलन – ऐतिहासिक स्थलों के रखरखाव में तुष्टीकरण की नीति अपनाई गई।
  3. वोट बैंक की राजनीति – कई राजनीतिक दल विशेष समुदायों को खुश करने के लिए इस तरह की नीति अपनाते हैं।
  4. भारतीय संस्कृति की अनदेखी – विदेशी आक्रांताओं के महिमामंडन से हमारी संस्कृति को नुकसान हुआ।

क्या होना चाहिए?

  1. शिवाजी महाराज के स्मारकों का उन्नयन – सरकार को विशेष फंड जारी करना चाहिए।
  2. अन्यायपूर्ण खर्च को रोका जाए – औरंगजेब जैसे शासकों की कब्रों पर सरकारी खर्च बंद हो।
  3. शिवाजी महाराज के विचारों का प्रचार-प्रसार – उनके आदर्शों को स्कूलों में पढ़ाया जाए।
  4. राष्ट्रीय महापुरुषों को उचित सम्मान – उनकी जयंती बड़े स्तर पर मनाई जाए।

हमें अपने इतिहास से सीखने की जरूरत है। वीर शिवाजी महाराज ने हमें स्वाभिमान और स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाया, जबकि औरंगजेब जैसे क्रूर शासकों ने भारत की संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया। ऐसे में सरकार को औरंगजेब की कब्र पर सरकारी धन खर्च करने की बजाय शिवाजी महाराज और अन्य राष्ट्रनायकों के सम्मान को प्राथमिकता देनी चाहिए।


ASHIK RATHOD FINANCIAL ADVISOR

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