Stock Market Crash: क्या 20% गिरावट के बाद बाजार में तेजी आएगी या मंदी जारी रहेगी?
भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट: इतिहास क्या कहता है?
भारतीय शेयर बाजार ने हाल ही में उच्चतम स्तर छूने के बाद करीब 20% की गिरावट दर्ज की है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। हालांकि, अगर इतिहास पर नजर डालें, तो बाजार इससे भी अधिक कठिन समय से गुजर चुका है और हर बार एक मजबूत वापसी दर्ज की है।
पिछले 30 वर्षों में भारतीय शेयर बाजार में 8 बार बड़ी गिरावट देखी गई है, लेकिन पिछले 22 वर्षों में बाजार ने नई ऊँचाइयों को छुआ है। सवाल यह है कि क्या यह गिरावट एक अस्थायी करेक्शन है या मंदी का संकेत?
2008 का सबसे बड़ा क्रैश और जबरदस्त रिकवरी
अमेरिकी बैंकिंग संकट और लेहमन ब्रदर्स के दिवालिया होने से पूरी दुनिया के बाजार प्रभावित हुए थे। विदेशी निवेशकों ने उभरते बाजारों से पैसा निकालना शुरू कर दिया, जिससे सेंसेक्स, निफ्टी और निफ्टी-500 में 60% तक की गिरावट आई।
लेकिन 2010 तक, भारतीय बाजार ने तेजी से रिकवरी की और निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया। इस घटना से यह स्पष्ट हुआ कि बाजार में गिरावट के बाद भी एक जबरदस्त उछाल आता है।
भारी गिरावट और फिर रिकवरी: 2013, 2016 और 2020
2013 - टेपर टैंट्रम संकट: अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी के संकेत से बाजार में भारी गिरावट आई, लेकिन एक साल के भीतर ही बाजार मजबूती से उभरा।
2016 - नोटबंदी का प्रभाव: भारतीय सरकार द्वारा नोटबंदी की घोषणा से निवेशकों में घबराहट बढ़ी, लेकिन जल्द ही बाजार रिकवर हो गया।
2020 - कोरोना महामारी का झटका: कोविड-19 संकट के कारण भारतीय शेयर बाजार में 40% तक की गिरावट दर्ज हुई, लेकिन महज एक साल के भीतर नई ऊँचाइयाँ हासिल कर लीं।
वर्तमान समय में शेयर बाजार में गिरावट के कारण
अमेरिकी नीतियां और मजबूत डॉलर: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियां और डॉलर की मजबूती के कारण वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बनी हुई है।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी की चिंता: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कठोर रुख से निवेशकों में घबराहट बढ़ी है।
कमजोर कॉर्पोरेट नतीजे: कई कंपनियों के तिमाही परिणाम उम्मीद से कमजोर आए हैं, जिससे बाजार पर दबाव बना हुआ है।
क्या बाजार फिर से नई ऊँचाइयाँ छू सकता है?
इतिहास इस बात का प्रमाण है कि हर बड़ी गिरावट के बाद भारतीय शेयर बाजार ने नई ऊँचाइयों को छुआ है। मौजूदा गिरावट भी एक करेक्शन हो सकती है, जो आगे चलकर एक बड़ी तेजी का आधार बन सकती है। लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह समय अवसर बन सकता है।
निवेशकों के लिए सुझाव
घबराहट में बिकवाली न करें: बाजार में गिरावट हमेशा स्थायी नहीं होती।
मजबूत कंपनियों में निवेश करें: लंबी अवधि के लिए फंडामेंटली मजबूत कंपनियों को चुनें।
सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) जारी रखें: नियमित निवेश से जोखिम कम होता है।
डायवर्सिफिकेशन बनाए रखें: केवल एक सेक्टर पर निर्भर न रहें, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करें।
भारतीय शेयर बाजार में 20% की गिरावट के बावजूद, इतिहास बताता है कि यह सिर्फ एक अस्थायी करेक्शन हो सकता है। निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि लंबी अवधि के अवसरों पर ध्यान देना चाहिए। यदि बाजार ने पहले भी कठिनाइयों को पार कर ऊँचाइयाँ हासिल की हैं, तो यह भविष्य में भी नई ऊँचाइयाँ छू सकता है।
ASHIK RATHOD Financial Advisor
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